कैसे साइबर अपराधी IVRS कॉल का उपयोग करके “डिजिटल गिरफ्तारी” और धोखाधड़ी करते हैं
कैसे साइबर अपराधी IVRS कॉल का उपयोग करके “डिजिटल गिरफ्तारी” और धोखाधड़ी करते हैं
आज के डिजिटल युग में, साइबर अपराधी तकनीकी कौशल का उपयोग करके लोगों की मेहनत की कमाई हड़प रहे हैं। इनमें से एक खतरनाक तरीका IVRS (इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम) कॉल के जरिए लोगों को डराने और “डिजिटल गिरफ्तारी” में फंसाने का है। यहां बताया गया है कि ये धोखाधड़ी कैसे होती है और आप इससे कैसे बच सकते हैं।
साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली – चरण दर चरण
- शुरुआती IVRS कॉल
साइबर अपराधी रैंडम नंबरों पर ऑटोमेटेड IVRS कॉल करते हैं। कॉल में आमतौर पर निम्नलिखित संदेश होते हैं:- पार्सल समस्या: “आपके नाम पर एक पार्सल कस्टम्स या कूरियर में अटका हुआ है।”
- कानूनी नोटिस: “आपके नाम पर हाई कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।”
- दुर्घटना का आरोप: “आपके नाम पर रजिस्टर्ड एक कार हिट एंड रन मामले में शामिल है।”
- सेवा बाधित: “आपका फोन कनेक्शन 30 मिनट में डिसकनेक्ट हो जाएगा।”
कॉल में आपसे अधिक जानकारी के लिए एक बटन (आमतौर पर “1”) दबाने को कहा जाता है।
- किसी एजेंट से जुड़ाव
यदि आप बटन दबाते हैं, तो कॉल एक ऐसे व्यक्ति से कनेक्ट होती है जो कस्टम, पुलिस या कूरियर सेवा का प्रतिनिधि होने का नाटक करता है। यह व्यक्ति आपकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता और फोन नंबर इकट्ठा करता है। - फर्जी पुलिस अधिकारी से बात
उसके बाद आपको एक दूसरे व्यक्ति से जोड़ा जाता है जो खुद को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताता है। यह व्यक्ति:- आपको किसी गंभीर अपराध (जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या राष्ट्रीय सुरक्षा उल्लंघन) में लिप्त होने का आरोप लगाता है।
- दावा करता है कि सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी आपको ट्रैक कर रहे हैं।
- आपको नकली कानूनी दस्तावेज (जैसे प्रवर्तन निदेशालय या सुप्रीम कोर्ट के नाम पर गिरफ्तारी वारंट) भेजता है।
- मनोवैज्ञानिक दबाव
डराने-धमकाने के लिए अपराधी जल्दबाजी का माहौल बनाते हैं। वे आपसे:- “जांच के दौरान” कैमरे के सामने रहने को कहते हैं (डिजिटल गिरफ्तारी)।
- इसे “राष्ट्रीय गोपनीयता” का मामला बताते हुए किसी से बात न करने को कहते हैं।
- वित्तीय धोखाधड़ी
कुछ समय बाद वे आपसे बैंक खाता नंबर, फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य संपत्ति की जानकारी मांगते हैं।- वे आपके पैसे उनके खाते में ट्रांसफर करने को कहते हैं, यह कहकर कि यह जांच के लिए जरूरी है।
- वे वादा करते हैं कि जब आपकी बेगुनाही साबित होगी, तो पैसा वापस कर दिया जाएगा, जो कभी नहीं होता।
- अलगाव और निगरानी
वे आपसे एक होटल में रहने और पूरे समय वीडियो कॉल पर रहने के लिए भी कह सकते हैं।
इस तरह की धोखाधड़ी के प्रभाव
- पीड़ित अपनी पूरी जमा-पूंजी खो देते हैं।
- भावनात्मक आघात और कानूनी परिणामों का डर।
- व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी का दुरुपयोग।
कैसे बचें इस तरह की धोखाधड़ी से
- संदिग्ध कॉल से बचें:
- अज्ञात अंतरराष्ट्रीय नंबरों या IVRS कॉल को अनदेखा करें।
- यदि किसी कॉल में बटन दबाने को कहा जाए, तो तुरंत कॉल काट दें।
- कभी भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें:
- फोन पर बैंक खाता विवरण, आधार/पैन नंबर या पासवर्ड साझा न करें।
- किसी भी संगठन की वैधता की पुष्टि करें।
- कानूनी दस्तावेज़ों की जांच करें:
- नकली गिरफ्तारी वारंट या कानूनी नोटिस में अक्सर गलतियां और असंगतियां होती हैं।
- किसी वकील या पुलिस स्टेशन में दस्तावेज़ सत्यापित कराएं।
- संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें:
- साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें।
- www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
- पुलिस से तुरंत संपर्क करें।
निष्कर्ष
साइबर अपराधी डर, जल्दबाजी और तकनीक का उपयोग करके लोगों को धोखा देते हैं। जागरूक, सतर्क और सक्रिय रहकर आप खुद को इस तरह की धोखाधड़ी से बचा सकते हैं। याद रखें, वैध प्राधिकरण कभी भी फोन पर भुगतान या व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगते।